डॉ० हिमानी पांडेय, बी.ए.एम.एस. नैनीताल ( himanayurveda.com ) – पान Paan Leaves जिसको हम तांबूल और नाग वल्लरी भी कहते हैं क्योंकि इसकी नाक के समान फैली हुई लता होती है। इंग्लिश में हम इसको बीटल Betel Leaf भी कहते हैं। पान betel leaves हमारे लिए एक वरदान के समान है। आयुर्वेद (Ayurveda ) में धनवंतरी निघंटु ने इसका डिस्क्रिप्शन देते हुए 13 ऐसे गुणों का वर्णन किया है और ऐसा कहा है कि इसके जो गुण हैं वह स्वर्ग में भी दुर्लभ हैं। तो आप ये समझिए कि कितना गुणकारी है।
अगर हम देखें तो जो बीटल Betel Leaf का एक पत्ता होता है, जो पान का पत्ता Paan Leaves होता है, उसमें 85 -90 % पानी ( Water ) पाया जाता है। इसका मतलब इसमें मॉइश्चर कंटेंट (Moisture Content ) ज्यादा है। इसमें कैलोरीज ( Calories ) उतनी नहीं हैं, कम मात्रा में पाई जाती हैं। अगर हम 100 ग्राम का एक बीटल का पत्ता Betel Leaf लें तो उसमें कैलोरी (Calorie ) , 44 % फैट ( Fat ) एक ग्राम ( 1 Gm ) , प्रोटीन ( Protien ) 3 से 4 % होता है । उसके बाद उसमें विटामिन ए, बी टू, बी सिक्स, आयोडीन, जिंक, निकोटिनिक एसिड जैसे विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। साथ में इसमें कुछ Essential Oils और कुछ Chemical Compounds भी पाए जाते हैं, जिनकी बहुत अच्छी मेडिसिनल प्रॉपर्टीज होती हैं और इन्हीं मेडिसिनल प्रॉपर्टीज के कारण इसे बहुत सारी बीमारियों में यूज किया जाता है।
Health Benefits of Paan Leaves पान के फायदे
तो आज इस आर्टिकल में हम पान के बारे में ही जानेंगे कि पान का क्या क्या बेनिफिट है। सबसे पहले हम इसका रस जान लेते हैं। इसका रस होता है कटु तिक्त। इसका जो गुण आयुर्वेद में बताया गया है वह लघु, रूक्ष और तीक्ष्ण होता है। इसका जो वीर्य है, पोटेंसी है, वह उष्ण स्वभाव की होती है। तो अब इन्हीं प्रॉपर्टीज के कारण जो शरीर में पित्त दोष ( Pitta Dosha ) है उसको बढाता है और जो कफ और वात ( Kafa and Vaata Dosha ) दोष होता है उसका शामक है , उसको बैलेंस करता है।
पुराने पान के फायदे Benefits of Old Paan Leaves
पुराने पान के बारे में बताया गया है कि पुराना पान जो होता है, रस भरा होता है, उसमें रस से भरपूर होता है, रुचिकारक होता है। वह हमारे जो टेस्ट ( Taste ) है उसको बढाता है, दीपन होता है, हमारे पाचन अग्नि ( Digestive Fire ) को भी बढ़ाता है। मधुर और तीक्ष्ण गुण इसका स्वभाव होता है। इसी वजह से इसको बल्य भी कहा गया है। कामोद्दीपक भी कहा जाता है जिसके कारण यह सेक्शुअल पावर ( Sexual Power ) को भी बढ़ाता है। उसी के साथ साथ यह रेचक होता है। लैक्सेटिव प्रॉपर्टीज ( Laxative Properties ) भी इसमें पायी जाती है और यह एक माउथ फ्रेशनर ( Mouth Freshner ) की तरह भी काम करता है।
नए पान के पत्तों का विवरण Description of New Paan Leaves
उसी तरह नए पान का विवरण ( Description ) देते हुए बताया गया है कि जो नया पान होता है, वो भी ताजा जिसकी हरी पत्तियां होती हैं वह त्रिदोष कारक होता है। वह तीनों दोषो को बढ़ाने वाला होता है। वह दाह जनन है, बालिंग करता है। आपके जो ब्लीड ब्लड डिसऑर्डर्स ( Bleed Disorders ) हैं उनको पैदा कर सकता है, वमन कारक होता है या क्रिएट कर सकता है, वोमिटिंग ( Vomiting ) कर सकता है तो नए पान का निषेध किया गया है और जो पुराना पान है वह उत्तम माना गया है।
किस तरह के पान का सेवन करना चाहिए Which Betel Leaves should we use
उसी तरह से जो पानी में सींचा हुआ पान होता है , अक्सर आप देखते होंगे कि जहां पान की जो शॉप होती है वहां पर पानी में सींचा हुआ पान यूज किया जाता है क्योंकि उसकी श्रेष्ठता बढ़ जाती है। वह त्रिदोष शामक उसको कहा गया है वह गुणों से भरपूर होता है। तो जो पानी में सींचा हुआ जो पान होता है उसको यूज करना चाहिए। आगे पान का यूज करने के लिए यह भी बताया गया है कि जो नया पान होता है और जो डार्क ग्रीन कलर का पान होता है उसको यूज़ नहीं करना चाहिए तो कैसा पान यूज करना चाहिए। जो मटमैला सा सफेद रंग लिया हुआ जो हरा रंग होता है उसका हमें पान में यूज करना चाहिए। नया और जो डार्क ग्रीन कलर का जो पान होता है वह यूज नहीं करना चाहिए। वह हमारे लिए सही नहीं है। वह त्रिदोष कारक होता है। वह दोषों को बढ़ा सकता है।
Properties of Paan Leaves पान के पत्तों के गुण
आइए जानते हैं कि क्या क्या इसकी प्रॉपर्टीज आयुर्वेद में बताये गई है। तो आयुर्वेद में सबसे पहले इसके गुणों की व्याख्या करते हुए कहा गया है कि यह मुख दोष नाशक है। मतलब मुंह में होने वाले कंठ रोग में होने वाले जितने भी रोग हैं उनके लिए इसको बेस्ट माना गया है। अगर आपका मुंह सूखा रहता है, बार बार प्यास लगती है तो आप पान को चबाये तो आपको बहुत आराम मिलेगा क्योंकि एक माउथ फ्रेशनर की तरह भी काम करता है। इसको मुख दुर्गन्ध नाशक कहा गया है। यह जो अगर आपके मुंह से किसी ओरल हाइजीन प्रॉपर नहीं होने की वजह से, दांत में कोई इन्फेक्शन होने की वजह से और पायरिया होने की वजह से आपका पेट ठीक नहीं होने की वजह से अगर मुख में दुर्गंध आ रही है तो उस समय भी अगर हम पान का यूज करेंगे तो हमारे लिए बहुत गुणकारी है।
अगर आपके मुख में या फिर कंठ में कोई दिक्कत हो रही है तो आप पान के रस को गुनगुने पानी में थोड़ा सा मिला के आधे से एक चम्मच की मात्रा में मिलाकर अगर उससे कुल्ला करेंगे या गार्गल करेंगे तो जितने भी कंठ के रोग होते हैं, जितने भी मुख के रोग होते हैं उसमें आराम मिलता है। आप पान के पत्ते को बिना सुपारी मिलाए उसमें लौंग, कालीमिर्च और इलाइची मिलाइए और उसको धीरे धीरे करके चबाये। तो एक ओरल हाइजीन ( Oral Hygiene ) बनता है कि जिससे कि जो गम्स ( Gums ), जो टीथ ( Teeth ) है, जो कंठ में जो हमारी, जो कंठ रिलेटेड जो डिसऑर्डर्स होते हैं उसमें काफी हद तक आराम मिलता है। पान को एंटी अस्थमैटिक ( Anti Asthamatic ) भी माना गया है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी पायी जाती है जो जो सांस के रोगी होते हैं। जिनको बार बार सांस लेने में दिक्कत होती है, दमे की शिकायत होती है अगर वह पान का यूज करेंगे तो उनके लिए बहुत बेनिफिशियल होता है।
पान में यह स्टडी बताती हैं कि इसमें एंटी हिस्टामिन प्रॉपर्टीज भी पाई जाती हैं। एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी के साथ साथ तो जो स्वांस के जो दमे के रोगी होते हैं, उनके लिए बहुत बेनिफिशियल होता है। जो स्वांस के, जो दमे के रोगी होते हैं। अगर वह पान के रस को 3 से 4 ग्राम पान के रस को शहद के साथ लेंगे तो उनकी जो दमे की शिकायत है वह काफी हद तक ठीक हो जायेगी। क्योंकि जो बुरा कंस्ट्रक्शन है वह उसकी जो रुकावट है, वह रुकावट ठीक हो जायेगी। साथ साथ अगर उनको जुखाम हो रहा है, खांसी हो रही है तो। उसमें भी उसको आराम मिलेगा।
अगर आपको सूखी खांसी हो रही है, आपके गले में बलगम जमा हुआ है, कफ छिटक नहीं रहा है तो उस समय आप इसका यूज करके देखिए। आपको बेस्ट रिजल्ट देखने को मिलेंगे। इसके लिए आप पान के पत्ते में 1 से 2 दाने, कालीमिर्च के एक दो दाने, लौंग की थोड़ी सी एक डंठल मुलेठी की डालकर और धीरे धीरे चबाकर देखें तो जो आपकी सूखी खांसी है वह भी ठीक हो जाएगी। कफ भी आपका पिघलकर बाहर आ जाएगा जिससे कि आपको आराम मिलेगा।
हमारे जो कॉलेस्ट्रॉल ( Cholestrol ) होता है, जो बड़ा कॉलेस्ट्रॉल होता है, जो हार्मफुल कॉलेस्ट्रॉल होता है, जिसको हम एलडीएल कहते हैं , वह जब बढ़ा हुआ होता है या फिर ट्राईग्लिसराइड बढ़े हुए होते हैं, जो हमारी हार्ट डिजीज के लिए, हमारे स्ट्रोक के लिए कारण होते हैं, जो आजकल अक्सर देखा जा रहा है। एक चीफ कंप्लेन पेशेन्ट लेकर आता है तो उसमें भी बीटल जो पान का पत्ता है, बहुत उपयोगी साबित हुआ है क्योंकि इसमें एक ऐसा कंपाउंड पाया जाता है जिसकी वजह से यह जो बड़ा कॉलेस्ट्रॉल है, एलडीएल है, उसको ठीक करता है। साथ साथ ट्राइग्लिसराइड के लेवल को भी बैलेंस में लाता है।
चौथा इसका हेल्थ बेनिफिट है गैस्ट्रो प्रोटेक्टिव एक्टिविटी। मतलब की यह हमारे जो गैस्ट्रो सिस्टम है, जो जीआईटी सिस्टम है, उसको प्रोटेक्ट करके रखता है, स्टडीज बताते हैं और साथ साथ हमारे बहुत बहुत पुराने समय से ही इसको ऐसे नेचुरल रेमेडी यूज किया जाता है।
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