फंगल इन्फेक्शन को दाद , खाज, खुजली अथवा RING WORM भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इसके लक्षण दद्रु नामक व्याधि से मिलते जुलते हैं। यह स्त्री या पुरुष किसी को भी हो सकता है। इसे Tinea के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रामक बिमारी है , जो फैलती है। शरीर में जिस जिस भाग में यह इन्फेक्शन होता है , उसके अनुसार इसका नाम रखा गया है जैसे – Tinea pedis , Tinea corporis , Tinea curis , Tinea barbar , Tinea capitis, Tinea manum , Tinea unguium.
इसमें खुजली और जलन के साथ गोल घेरे के आकार का शरीर में निशान बनता है जो बाहर से कुछ उभरा हुआ , लाल और अंदर से हल्का गुलाबी रंग का होता है। जब खुजली ज्यादा हो जाती है तो चिपचिपा पानी जैसा प्रदार्थ भी निकलता है।
१. गंदे पानी के संपर्क में देर तक रहना , जिससे germs शरीर में प्रवेश करते हैं।
२. गीले कपडे देर तक पहने रहना , इससे शरीर में नमी आ जाती है, जो इसका प्रमुख कारण है।
३. बहुत देर तक भीगे रहना , इससे शरीर में नमी बानी रहती है , जो दाद, खाज , खुजली का मुख्य कारण है।
४. किसी फंगल इन्फेक्शन से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना जैसे – कपडे , तौलिया शेयर करना , हैंडशेक करने से या फिजिकल कॉन्ट्रैक्ट से।
५. रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना।
६. Stress ( तनाव ) के कारण – Occupational ( कार्य के कारण ) , Family ( परिवार ) , Relationship Stress ( संबंधों के द्वारा प्रदत्त तनाव ) लिवर ( Liver ) एवं होर्मोनेस ( Hormones ) पर प्रभाव दिखाता है , उसे डिस्टर्ब करता है जिसके कारण इन्फेक्शन होने का ख़तरा होता है।
७. अनुचित खान-पान – पित्त को बढ़ाने वाला भोजन जैसे मिर्च , मसाले , चाय कॉफ़ी , जंक फ़ूड आदि।
८. मीठे का ज्यादा प्रयोग करना।
९. साफ़ सफाई का ध्यान नहीं रखना जैसे रोज नहीं नहाना , पसीने वाला कपडे ज्यादा पहनना, साफ़ – सुथरे कपडे नहीं पहनना।
१०. अगर जानवरों के संपर्क में आते हैं तो उनसे भी फैलता है।
११. Antibiotics आदि का ज्यादा प्रयोग करना उससे पेट में harmful bacteria के साथ – साथ good bacteria भी destroy होते हैं और फंगल इन्फेक्शन को भी बढ़ाने में मदद करते हैं।
Tips / बचाव : कैसे करें उपचार :
१. साफ़ सफाई का ध्यान रखें।
२. सूखे कपडे पहने।
३. ढीले कपडे , सूती कपडे पहने जिससे त्वचा को हवा मिलती रहे।
४. पित्त को बढ़ाने वाले प्रदार्थों का सेवन काम करें।
५. कपडे , तौलिये आदि पर्सनल चीजों को शेयर न करें।
६. पेट को साफ़ रखें क्योंकि आम बनेगा और शरीर में दोष बढ़ेंगे जो इन्फेक्शन को बढ़ाएंगे।
७. नीम का प्रयोग करें – नीम के पत्तों से स्नान करें। नीम का तेल लगाएं एवं नीम का पेस्ट लगाएं।
८. शरीर में ज्यादा पसीना न होने दें।
९. एलोवेरा जेल को खा भी सकते हैं और लगा भी सकते हैं।
१०. नारियल का तेल कपूर मिला कर इन्फेक्शन वाले स्थान में लगा सकते हैं।
कई औषधियां हैं जैसे त्रिफला , आरोग्यवर्धिनी वटी , कैशोर गुग्गुल जो बहुत अच्छा असर दिखाती हैं , पर इन औषधियों को चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही सेवन करें , क्योंकि हर व्यक्ति के शरीर में दोषों की अलग- अलग अवस्था होती , जो चिकित्सक ही पहचान एवं निदान कर सकता है। इसलिए औषधियों का प्रयोग चिकित्सकीय देख-रेख में ही करें।
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फंगल इन्फेक्शन का कारण एवं आयुर्वेदिक उपचार । FUNGAL INFECTION