अंग्रेजी नाम – Blackberry
लैटिन नाम – Syzygium cuminii
संस्कृत नाम – जम्बू , फलेन्द्रा
इसका चिरहरित बड़ा लगभग १०० फ़ीट का वृक्ष होता है। इसके फल जून-जुलाई महीने में लगते हैं। फल १-२ कम लम्बी गुठली होती है। इसका रस मधुर , अम्ल , कषाय होता है। इसका वीर्य शीत , गुण – लघु रुक्ष होता है। अपने रस , गुण , वीर्य के कारण यह शरीर में बढे हुए कफ और पित्त दोष का शमन करता है और वाट दोष को बढ़ाता है।
प्रयोज्य अंग – फल , गुठली , चाल , पत्र
१. गुठली – गुठली निकालने का तरीका – फल को धोकर सूखा लें। बीज निकाल लें , उसके ऊपर भूरे रंग का छिलका दिखेगा , उसे निकाल लें। इसे निकालने के बाद हरे रंग की गुठली दिखेगी , इसी को सुखाकर पाउडर बनाया जाता है और प्रयोग में लाया जाता है।
जामुन की गुठली diabetes में बहुत लाभप्रद है क्योंकि इसमें anthocyanius , flavonoids , Gallic acid , Ellagic acid जैसे रसायन पाए जाते हैं जो Diabetes में बहुत उपयोगी है। इसमें विटामिन A एवं C भी पाया जाता है। यह शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को भी बढ़ाता है। इसमें Astringent property भी पाई जाती है जिसके कारण यह अतिसार ( Loose motion ) या शरीर से कहीं से भी रक्त स्राव होना जैसे – नाक से , मुंह से , पैशाब से आदि में बहुत उपयोगी है।
२. फल – जामुन का फल या फलोंसे बना हुआ सिरका – हमारे पाचकाग्नि को बढ़ाता है जिससे भूक बढ़ती है , भोजन का पाचन करने में मदद करता है , यकृत ( liver ) को उत्तेजित करता है , अतिसार ( Loose motion ) ग्रहणी , IBS में बहुत उपयोगी है। यह उस समय परम गुणकारी है जब मरीज को बार बार शौचालय जाना पढता है। पेट में मरोड़ भी होती है लेकिन थोड़ा थोड़ा मल गिरता है। इससे रक्तगत एवं मूत्रगत शर्करा दोनों कम होती है। यह मूत्र का प्रमाण भी कम करता है। ३. छाल – इसकी छाल में Astringent property होती है जो शरीर में कहीं से भी होने वाले स्राव को रोकती है जैसे – बार बार पेट खराब होना, नाक व मुंह से खून निकलना , मसूड़ों से खून निकलना , पेशाब से खून आना , महिलाओं में होने वाला अति रजः स्राव , स्वेत प्रदर आदि। ४ – इसके पत्ते छद्री निग्रहण अर्थात उलटी या जी मिचलाना ( vomitting ) जैसे प्रभाव को कम करते हैं।
कैसे करें प्रयोग ?
- इसके पके फल के ५-६ दाने खाने से मूत्राशय की पथरी गल कर निकल जाती है।
- इसकी १ चम्मच छाल को १ गिलास पानी में भिगोकर रहे। सुबह उसे मसलकर छान लें। इस प्रकार तैयार हिम को मधु मिलकर पीने से शरीर से कहीं से भी जो रक्त आ रहा है वह निकलना बंद हो जाता है।
- इसकी छाल का २-५ ग्राम महीन चूर्ण व्रम पर छिड़कने से शीघ्र ही घाव भर जाता है।
- इसकी छाल का चूर्ण २ चम्मच को गिलास पानी में पकाएं, चतुर्थांश शेष रहने पर छान लें। इस क्वाथ की ३-४ चम्मच की मात्रा दिन में ३-४ बार लेने से बार बार पेट खराब होने की समस्या से आराम मिलता है।
- इसके ६-७ कोमल पत्तों को लेकर १ गिलास पानी में पकाएं। इसका १ चौथाई शेष रहने पर छान लें, फिर ठंडा होने पर ३-४ चम्मच की मात्रा में दिन में ३-४ बार पीने से बार बार होने वाली उलटी या जी मिचलाना विशेषतः पित्त के बढे हुए से होने वाली उलटी में विशेष आराम पहुंचाती है।
- इसके ८-१० पत्तों को पीसकर लेप करने से जलने का स्वेत दाग मिट जाता है।
इसके नुक्सान –
- इसको ज्यादा मात्रा में खाने से कब्ज पैदा होता है।
- यह शरीर में वाट दोष को बढ़ता है, इसलिए वादी लोग इसका सेवन कम करें।
- हमेशा जामुन को काला नमक के साथ या सैंधा नमक के साथ सेवन करें।
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