Dr Himani Pandey , BAMS
आयुर्वेद में जिस प्रकार वाम भाग में प्लीहोदर का वर्णन किया गया है उसी प्रकार शरीर के दाएं भाग मेें जो वृद्धि होती है उसे यकृत Liver वृद्धि कहते हैं। प्लीहोदर के जो कारण, लक्षण और औषधियां होती हैं, वही यकृत वृद्धि की भी होती हैं इसलिए आयुर्वेद में प्लीहोदर रोग में ही यकृदुदर का भी समावेश कर लिया गया है।
आधुनिक चिकित्सा में इसे Liver Enlargement or Hepatomegaly के नाम से जाना जाता है।
कारण-
1. मद्यपान का अधिक मात्रा में सेवन।
2. वायरल इन्फेक्शन जैसे Hepatitis-A, Hepatitis-B or Hepatitis-C।
3. आयरन का लीवर में एकत्रित होना।
4. डायबटीज, टी0 बी0, दिल की बीमारी, ल्यूकिमिया।
5. भोजन में अनियमित्तता।
6. कुछ दवाईयों के दुष्परिणाम के कारण।
लक्षण-
1. पेट में दाएं तरफ भारीपन व दर्द होना।
2. भूख न लगना, उल्टी करने का मन करना।
3. कमजोरी होना।
4. शरीर व आंखों के सफेद भाग में पीलापन होना।
5. पेट का फूलना।
क्या करें-
1. पपीते का प्रयोग नियमित करें।
2. हरी पत्तेदार सब्जियां एवं फल का प्रयोग करें।
3. लम्बे बैगन का प्रयोग लाभदायक है।
4. करेले का जूस, संतरे का जूस असरकारक है।
5. पानी खूब पिएं।
6. मद्यपान का सेवन बन्द कर दें।
7. औषधियों में आरोग्यवर्धनी वटी, पुर्ननवा मण्डुर।
अपने विचारों और सुझावों को सुनिश्चित करने के लिए हमें निरंतर पर्याप्त जानकारी और अध्ययन करने की आवश्यकता होती है। अतः, आयुर्वेदिक उपचार के लिए किसी प्रशिक्षित वैद्य की सलाह लेना अच्छा होगा।
ध्यान दें: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और किसी भी चिकित्सा या उपचार की विशेषज्ञता की जगह नहीं ले सकता है। यदि आपको लिवर से सम्बंधित बीमारी के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह चाहिए, तो कृपया किसी प्रमाणित आयुर्वेदिक वैद्य से संपर्क करें। आप हमसे चिकित्सकीय सलाह के लिए ईमेल के माध्यम से भी संपर्क कर सकते हैं। हमारा ईमेल – himanayurveda@gmail.com है।